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मंगलवार, जुलाई 05, 2016

एक झलक नैनीताल की


तो हुआ यूँ कि चुन्नू भाई ने ज़िद की, क्यूंकि आपने मुझे स्कूल के नैनीताल ट्रिप में नहीं जाने दिया इसलिए आप मुझे नैनीताल ले चलिए.तो भाई ये जानते हुए भी कि नैनीताल में गुडगाँव से भी ज़्यादा भीड़ सैटरडे संडे को होती है, नैनीताल चलने को तैयार हो गया.और फिर पहाड़ मुझे अच्छे भी लगते हैं.शायद सभी को लगते होंगे.सबसे पहले भारतीय रेल का टिकट देखा.दूर दूर तक वेटिंग ही वेटिंग.ऐसा लगा जैसे अपने घर(भभुआ-बिहार) जाने का टिकट देख रहा हूँ.इस दौरान अपने कुछ मित्रों से भी बात की लेकिन भारतीय रेल टिकट न होने की वजह से सबने असमर्थता ज़ाहिर की.फिर तो हमारे पास तबे एकला चलो रे - के अलावा कुछ बचा नहीं था.redbus.in पर बस बुक किया.और oyo से होटल.
एक काम की बात-नैनीताल के लिए कोई भी प्राइवेट बस VOLVO नहीं है.इसलिए बसें आरामदायक बिलकुल भी नहीं हैं.

ये रही हमारी मंथर गति से चलने वाली बस.इस बस से बिलकुल भी मत जाइये.बस बेहद बेकार है.300 km की दूरी 11 घंटे में तय की जबकि ज़्यादातर रोड अच्छे हैं.सीटिंग भी अच्छी नहीं है.

तो 11 बजे तय समय के बाद बस चली 12 बजे.फिर पता नहीं किन किन ढाबों पर रुकते हुए 5 बजे रामपुर पहुंची.रामपुर से रूद्रपर सड़क बहुत अच्छी नहीं है.6:40  सुबह रूद्रपर पहुंची.वहां एक वाणिज्य कर का एक ऑफिस है.बस वही रुकी.सभी ने अपने अपने को हल्का किया.वहां हमने 10 रूपये मूत्रालय के दिए.हालाँकि वो सरकारी शौचालय था और किसी तरह के शुल्क की कोई सूचना नहीं थी.हिंदुस्तान में भ्रष्टाचार हर स्तर पर है.वहां से चली तो फिर एक ढाबे पर रुकी चाय वायके लिए तब तक 7 :20 हो चुके थे.बिष्ट दा ढाबा.वहां से नैनीताल अभी 39  किलोमीटर था .लगा 9 बजे तक तो पहुँच ही जायेंगे.8 बजे हल्द्वानी पहुंचे.वहां सड़क के किनारे छोटे छोटे पार्क बने हैं. नाम कुछ इस तरह GB  पंत पार्क, खुशीराम पार्क, बुद्धा पार्क..और न जाने कितने..गोया सभी गुणीजनों को एक साथ खुश करने की सफल कोशिश की गयी है.अच्छा लगा. 


बिष्ट दा ढाबा के पास चुन्नू भाई.

हल्द्वानी हम 8  बजे, काठगोदाम, 8:12  , ज्योलीकोट 9:10  पहुंचे. यहाँ से नैनीताल मात्र 18  km  है.


लेकिन नैनीताल पहुंचे 10:50 .मतलब हम 11 घंटे में नैनीताल पहुंचे.नैनी झील में पानी बहुत कम है आजकल.वहां नाव वालों ने बताया 2  साल से बारिश न होने के कारण पानी काफी नीचे चला गया है.हमें बहुत भूख लगी थी.बिना ब्रश किये जमकर कहना खाया.12 बज गए. बहुत थक भी गए थे.मैप देखा तो होटल मल्लीताल से 1.5 किलोमीटर हाई कोर्ट के पास था.हम पैदल ही चल पड़े.यकीन मानिए थक गए. हाई कोर्ट बहुत ऊंचा है.खैर थके हारे होटल पहुंचे.नहाया और सो  गए.3 बजे उठे.और नैनीताल की यात्रा शुरू कर दिए.
सबसे पहले गए रोपवे के पास.लेकिन उस दिन का सारा टिकट बुक हो चुका था.हम अगले दिन का टिकट लिए.नैनी झील में बोटिंग की.मजा आ गया.


5  बजे के आस पास बारिश शुरू हो गयी.6  बजे तक ठण्ड भी लगने लगी.हमने टैक्सी की और होटल चले गए.टैक्सी वाले ने 150  रुपये लिए 2  किलोमीटर के.

7 बजे रज़ाई में घुसने के बाद  कही जाने की इच्छा नहीं हो रही थी.लेकिन खाना तो खाना ही था.होटल से बात की तो वो बोले खाना आर्डर पर बनता है और वो भी केवल शिमला मिर्च आलू की सब्ज़ी और दाल मिलेगी.हमने मना कर दिया.और बारिश में भीगते हुए ठण्ड से कांपते हुए 9 बजे पास के एक ढाबे में गए.और खाना खा लिया.और फिर क्या करते.होटल आकर सो गए..

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