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गुरुवार, जुलाई 07, 2016

सात ताल - नैनीताल चिड़ियाघर - रोपवे

सुबह छह बजे नींद अपने आप खुल गयी. कमरे की खिड़की खोली. एकदम फ्रेश वातावरण. आनंद आ गया. लग ही नहीं रहा था कि रात को बारिश हुयी है.मौसम एकदम साफ़ था.नहाया धोया.तबतक बेटी भी जाग गयी थी.बाकि दोनों जनों को जगाया. बाकी लोग नहा धो रहे थे तबतक मैं सैर करने निकल गया.मज़ा आ गया.  सुबह सुबह एक फरीदाबाद से आये बुज़ुर्ग मिल गए.मेरे कमरे में भी आये बोले - आपका कमरा बहुत अच्छा है.हमारा तो बहुत ही बकवास कमरा दिया है.8:30 बजे नाश्ता आ गया कमरे में.आलू पराठे,दही,आचार,ब्रेड बटर..तो भाई मस्त पेट भर नाश्ता करके हम लोगों ने होटल को अलविदा कहा.

नैनीताल की ये मेरी चौथी यात्रा थी.और हमें सात ताल बेहद आकर्षित करता है.हमारा प्लान बना सात ताल चलते हैं.फिर जितना समय बचेगा सोचेंगे.इसी बीच चुन्नू भाई ने ज़ू की ज़िद नहीं छोड़ी. हमलोग अपना बैग होटल के रेसिप्सन पर छोड़ दिया.सोचा शाम तक आएंगे और बैग लेकर सीधे बस अड्डे चले जायेंगे.
काम की बात - सामान रखने के लिए लॉकर की कई दुकाने बस अड्डे के पास भी उपलब्ध हैं.जो हमें वहां जाकर पता चला.

होटल छोड़ते ही हमें एक टैक्सी मिली जो किसी गेस्ट को लेकर आयी थी.हमने उससे बात की.सात ताल चलोगे.बोला चलूँगा.  9:30 बज चुके थे.हमने टैक्सी की शरण ली.रास्ते में भवाली में कुछ फल खरीदे.फ्रेश पहाड़ी फल खाकर आनद आ गया.तो भाई खाते पीते हम 10:35  तक सात ताल पहुंचे.वहां जाकर हमने पैडल बोट ली.एक घंटा का 220 रुपये. लेकिन इतना मज़ा आया कि लगा एक घंटा और आनंद लिया जाय. लेकिन चुन्नू भाई के चिड़िया घर की वजह से वापिस लौटना ज़रूरी था. हाँ एक बात और सभी जगहों की तरह सात ताल भी बहुत कॉमर्शियल हो गया है.थोड़ी निराशा तो होती ही है.
वहां हमने खाना खाया.राजमा राइस,कढ़ी राइस, और मुन मुन के लिए मैग्गी.करीब एक बज चुका था और हम चल पड़े नैनीताल की और.
बिटिया रानी बड़ी सयानी

चुन्नू भाई ने कहाँ मैं भी पैडल मारूंगा



एक काम की बात-सात ताल के लिए सार्वजानिक साधन नहीं है.या यूँ कहिये मुझे नहीं पता.इसलिए अपने साधन से ही जाइये.अन्यथा समस्या बढ़ सकती है.

दो बजे नैनीताल पहुंचे और शटल सर्विस से चिड़िया घर.चिड़ियाघर के लिए तल्लीताल-मल्लीताल दोनों जगहों से शटल सर्विस है.30 रुपये प्रति व्यक्ति लिए जाते हैं.तल्लीताल से महज एक किलोमीटर है.चाहें तो पैदल जा सकते हैं.2:15  पर हम ज़ू के अंदर थे टिकट लेकर. सोचा बहुत बड़ा चिड़िया घर होगा. लेकिन छोटा है, बहुत ऊंचाई पर है.और बहुत अच्छा है.बाघ और चीते दोनों चहलकदमी करते हुए मिले.बाघ को तो शायद गुस्सा भी आ गया था.ज़्यादा ही तेज़ तेज़ चल रहा था. बाकी कई तरह के पंछी, हिरन, लंगूर, बन्दर वैगेरह दिखे. और हाँ पांडा और भालू भी दिखे. थोड़ी देर में चुन्नू भाई को बड़ी ज़ोर से शू शू लगी . फिर क्या था हम जल्दी से बाहर निकले.ज़ू के अंदर शौचालय नहीं है.बाहर गेट पर है. खैर चुन्नू भाई ने अपने आप को हल्का किया .उनके जान में जान आयी.और हमारे भी.
चिड़िया घर के रास्ते में


एक नक़ली वाटर फॉल भी था


एक चिड़िया ..
अनेक चिड़िया...    
चिड़िया घर से नैनी झील

एक भालू

 चीता  
बाघ का फोटो नहीं ले पाया..वीडियो किया था.
हलके होने के बाद चिड़ियाघर के बाहर चुन्नू भाई

हर फोटो पर कमेंट ज़रूरी तो नहीं

चिड़िया घर से नैनी झील

नीचे आने के लिए हमने शटल सर्विस नहीं ली.पैदल तल्लीताल आये.रिकशे से मल्लीताल.
और 4 :15  तक रोपवे पहुंचे.हमारा नंबर आने ही वाला था.टिकट तो हम कल ही ले चुके थे. फिर तो ऊपर पहुँच कर इधर उधर कूद फांद किये.चुन्नू भाई ने बन्दूक से बोतल गुब्बारे फोड़े.चुन्नू और मुनमुन ने मम्मी के साथ बम्पर कार का मजा लिया.मुनमुन ने अपने प्रिय खेल जंपिंग(मुझे नाम नहीं पता,बच्चों को बाँध देते हैं और झूले की तरह झूलते है).

ये हमारी फेवरेट जगह है.लेकिन आजकल यहाँ कचरा था.

स्नो व्यू पॉइंट से नैनी झील

एक ट्राली से दूसरी ट्राली


मुनमुन का सबसे प्रिय खेल..नाम बताना तो ज़रा इसका..

ट्राली से नीचे आते हुए..

और ये दुर्लभ फोटो तो कभी कभी ही देखने को मिलती है

6 बजे हम वापस आये.कुछ खिलौने खरीदे.होटल से बैग लिया और बस अड्डा वापिस.अभी सात बजे थे .हमने नैनी लेक का लुत्फ़ 8  बजे तक उठाया.8 :30  बजे वही पर खाना खाया. बस दस बजे चली और छह बजे आनंद विहार.


नैनीताल की निशा में निमग्न

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